मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि श्रीमद्भगवद्गीता एक अद्भुत, अनुपम और पवित्र ग्रंथ है। गीता के अध्ययन मात्र से ही मनुष्य के जीवन के सभी प्रश्नों और सभी जिज्ञासाओं का शमन (समाधान) हो जाता है। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान ही सम्पूर्ण सृष्टि के समग्र ज्ञान और चेतना का मूल आधार है। योगीराज भगवान श्रीकृष्ण ने मानव जीवन को धर्म, कर्म और मर्म का वास्तविक मार्ग दिखाया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग, निष्काम कर्म और धर्म पालन को ही मनुष्य के जीवन का सर्वोच्च मार्ग इंगित किया है। उन्होंने वीर अर्जुन को सिखाया कि लौकिक जगत में रहते हुए भी मनुष्य को अपने कर्तव्य (स्वधर्म) का पालन करना चाहिए। कर्म करते हुए भी फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। यही अलौकिक धर्म का मार्ग है, जिससे मनुष्य मोक्ष और परम शांति की ओर बढ़ता है। भगवान श्रीकृष्ण ने विश्व समुदाय को कर्मयोग के जरिए ही अपने धर्म का पालन करने की प्रेरणा दी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सोमवार को रवीन्द्र भवन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी प्रदेशवासियों को गीता जंयती की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान हम सबको सिखाता है कि मनुष्य के आत्मा रूपी पिंड को एक दिन अंतत: परमात्मा में ही समाहित हो जाना है।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गीता जयंती के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ योगीराज भगवान श्रीकृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण कर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का विधिवत् शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि गीता जयंती के पावन पर्व पर ऐसा लग रहा है कि गोपाल कृष्ण हमारे आसपास ही विद्यमान हैं। बीते वर्ष लाल परेड ग्राउंड पर 3500 विद्यार्थियों ने एक साथ गीता पाठ कर अद्भुत रिकॉर्ड बनाया था। इस गीता जयंती पर प्रदेश के सभी 55 जिलों, 10 संभागों और 313 विकासखंडों में करीब 3 लाख से अधिक गीता पाठियों के 15वें अध्याय के सस्वर पाठ से अद्वितीय रिकार्ड बनेगा। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कंस को मारने के बाद अपने जीवन में शिक्षा को सर्वोपरि रखा। भारत में 5 हजार वर्ष पहले से विद्यार्थियों के लिए गुरुकुल जाकर शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था थी। भगवान श्रीकृष्ण भी उज्जैन के सांदीपनि आश्रम आए और यहां पर चारों वेद, सभी उपनिषद्, 64 कलाएं और 14 विद्याएं सीखीं। भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की अमर मित्रता की नींव मध्यप्रदेश की धरा में स्थित इसी आश्रम में पड़ी थी। इन दोनों की मित्रता से हमें यह सीख मिलती है कि कोई कहीं भी पहुंच जाए, अपने बचपन के मित्रों को नहीं भूलना चाहिए। मित्र यदि गरीब हो, तो बिना बताए ही उसकी भरपूर सहायता कर देनी चाहिए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन संघर्ष और कर्मवादी रहा है। उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को कर्मवाद की शिक्षा दी। मनुष्य को कर्तव्यों के निर्वहन के लिए मोहमाया और कर्म में से किसी एक मार्ग को चुनना पड़ता है। यह कर्तव्य मार्ग होता है। उन्होंने कहा कि हर प्राणी के जन्म के साथ ही उसकी मृत्यु निश्चित है। भगवान श्रीकृष्ण ने 15वें अध्याय में आत्मा और परमात्मा के माध्यम से पुरुषोत्तम ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण के जीवन के हर पल से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। कर्मवाद के आधार पर भगवान को भी पृथ्वी पर मनुष्य रूप में जन्म लेना पड़ा। उन्होंने भी जीवन में सुख-दु:ख का अनुभव किया। मनुष्य को जन्म के साथ ही अपने सभी संचित, अकिंचन और अर्जित कर्मों का फल भोगना पड़ता है।
प्रदेश में गीता भवन भी बनाएंगे
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े प्रत्येक स्थान को तीर्थस्थल के रूप में विकसित कर रही है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के चरण जहां-जहां पड़े उसे रेखांकित करते हुए 'श्रीकृष्ण पाथेय' का रूप दिया जा रहा है। इसी के साथ प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में सामुदायिक भवनों की आवश्यकता की पूर्ति करने वाले गीता भवन तैयार किए जा रहे हैं। प्रदेश का पहला गीता भवन इंदौर के राजवाड़ा में बनकर तैयार है। इसका लोकार्पण किया जा रहा है।